Me Anika hu - 1 in Hindi Fiction Stories by Aarti w books and stories PDF | मैं अनिका हूँ - और अब पूरी हूँ - 1

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मैं अनिका हूँ - और अब पूरी हूँ - 1

1: एक नई शुरुआत – अनिका की शादी

साल 2003…
कलकत्ता के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हलचल थी। अनिका की शादी तय हो चुकी थी। वह मात्र 23 वर्ष की थी—चमकती आंखें, साधारण-सी सुंदरता, पर दिल से बहुत कोमल। उसका विवाह एक प्रतिष्ठित क्लास-1 अधिकारी, साहिल से तय हुआ। घरवालों को गर्व था कि उनकी बेटी की किस्मत खुल गई।

शादी के दिन, अनिका बहुत सुंदर लग रही थी। लाल साड़ी में लिपटी, उसके चेहरे पर घबराहट और खुशी की मिली-जुली झलक थी। लेकिन किसे पता था कि ये सजी-धजी विदाई की घड़ी, एक लंबे संघर्ष की शुरुआत होगी।

शादी के कुछ महीनों तक सब ठीक चला। साहिल का स्वभाव थोड़ा रूखा था, लेकिन वो नौकरी के कारण अधिकतर समय बाहर रहता था। अनिका को उसके परिवार के साथ रहना पड़ा—एक नई बहू, नए घर में, नई जिम्मेदारियों के साथ।

साल 2004 में अनिका मां बनी। एक प्यारा-सा बेटा उसकी गोद में आया, जिसने उसकी जिंदगी को एक नई दिशा दी। लेकिन साहिल तब भी उससे दूर ही रहा। काम के नाम पर उसका अधिकतर समय बाहर बीतता और जब घर आता, तो शराब में डूबा रहता।

धीरे-धीरे अनिका को अहसास हुआ कि साहिल की शराब की लत गंभीर है। वो चुपचाप सब सहती रही—अपनी जिम्मेदारियाँ निभाती रही। मगर हर बीतते दिन के साथ, उसके भीतर एक खालीपन पनपता गया।
2: बेटे की पढ़ाई और नई जगह की ओर

जब बेटे के स्कूल में दाखिले की बात आई, तो अनिका ने साहिल के परिवार से कहा कि वे पति-पत्नी एक साथ रहें ताकि बच्चा दोनों के साथ बड़ा हो सके। परिवार ने सहमति दी और अनिका अपने बेटे के साथ साहिल के पास चली गई।

नई जगह में शुरू में सब कुछ अच्छा लगा। साहिल थोड़ा बेहतर व्यवहार करने लगा। बच्चा स्कूल में एडमिशन पा गया और अनिका को भी एक स्कूल में अस्थायी नौकरी मिल गई। पहली बार उसे ऐसा लगा कि शायद उसकी ज़िंदगी में सब कुछ ठीक हो सकता है।

कुछ महीनों में ही उसने शिक्षण में रुचि ली और एक शैक्षणिक डिग्री के लिए दाखिला लिया। सालभर में उसने डिस्टिंक्शन के साथ परीक्षा पास की। उसी स्कूल ने उसे फिर से बुलाकर सुपरवाइज़र का पद ऑफर किया। अनिका ने खुशी-खुशी यह जिम्मेदारी स्वीकार की।

लेकिन फिर साहिल की पुरानी आदतें लौट आईं। वो शराब पीकर देर रात घर लौटता, गालियाँ देता, और घर का माहौल खराब करता। अनिका ने यह सब चुपचाप सहा—बच्चे के भविष्य के लिए।
3: फेसबुक, दोस्ती और वर्चुअल दुनिया

साल 2010 के आसपास, अनिका ने फेसबुक पर खाता बनाया—पति की इजाजत से। शुरुआत में वो केवल स्कूल की गतिविधियाँ शेयर करती और पुराने सहपाठियों से जुड़ती।

कुछ समय बाद, उसने विकास नाम के एक लड़के से बात करनी शुरू की। विकास उससे उम्र में छोटा था, पर एक अच्छा दोस्त बन गया। उनके बीच सामान्य बातें होतीं—शिक्षा, काम, जीवन की परेशानियाँ। फिर उसने G+ (गूगल प्लस) पर खाता खोला, जहाँ सोनिया नाम की एक लड़की से उसकी दोस्ती हो गई। दोनों एक-दूसरे की पोस्ट्स पर कमेंट किया करती थीं। सोनिया के कई दोस्त थे जो अनिका की पोस्ट पर भी प्रतिक्रिया देते।

एक दिन, एक अनजान व्यक्ति ने कमेंट किया—"Hi, I’m Shashank from UAE."
अनिका ने सामान्य रूप से जवाब दिया। धीरे-धीरे वे चैट करने लगे। शशांक ने कभी नहीं पूछा कि अनिका शादीशुदा है या नहीं। और अनिका ने कभी बताया भी नहीं। उसने उसे बताया कि वो अपनी आंटी के साथ रहती है।